Monday 27 June 2011

व्यक्तिगत स्वार्थ और सत्ता लोलुपता - परिणाम भारत आज तक सामना कर रहा है !

भारत में सत्ता के लिए किये गए अत्याचारों का सबसे भयावह अत्त्याचार   १९४७ में आजादी के समय सत्ता के लालच में एक परिवार ने देश के टुकड़े करवा दिए - परिणाम हिन्दू मुस्लिम मारकाट, लाखों निर्दोष लोगों की जाने चली गई, अदूरदर्शिता और सत्ता लोलुपता के कारण !   सत्ता के लालच में लाल बहादुर शाष्त्री जी की हत्या - परिणाम भारत आज तक एक कुत्ते के गूह के बराबर देश से आतंकवाद की समस्या का सामना कर रहा है, विभिन्न बम विस्फोटों में एवं सीमा पर सैनिकों के रूप में निर्दोष लोगों की हत्या हो रही है अ   सत्ता के लालच में श्री राम जन्म भूमि को विवादित बना देना - परिणाम समाज में कुंठा पैदा हो गई जो बाबरी मस्जिद को डहाने क बाद ही खत्म हुई. !   सत्ता के लालच में भिंडरावाले को पोषण देना - परिणाम आपरेशन ब्लू स्टार, उसके बाद स्वर्ण मंदिर के अपमान से उपजी कुंठा ने श्रीमती गांधी की हत्या कर दी, उसके बाद आरम्भ हुआ इस सदी का सबसे बड़ा अत्याचार, कांग्रेसियों के दल ने हर तरह से सिक्खों को लूटा, जलाया, और काट दिया इस पंथ को हिन्दू समाज से,  १९८४ के उस कांग्रेसी बनाम सिख एक तरफ़ा दंगे में लाखों सिक्खों को जिन्दा जला दिया सत्ताधारी दल ने, जिसके बाद सिक्ख समाझ की कुंठा ने और पाकिस्तान के पोषण ने सिक्ख आतंकवाद को जन्म दिया, उस आतंकवाद को खत्म करने में भी हजारों जाने गई जो शायद न जाती अगर सत्ता के लालच ने भिंडरावाला को जन्म न दिया होता ! एवं जनता की मेहनत की कमाई का पैसे का उपयोग विकास में लगता न कि उस आतंकवाद को खत्म करने में. !   व्यक्तिगत स्वार्थ और सत्ता लोलुपता के कारण १९४७ से आज तक विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा किये गए घोटालों की सूची को कई बार सब लोग देख चुके हैं जो राष्ट्र लूट का सबसे गन्दा उदहारण है भोली भाली भारत की जनता को लूटने वालों का न्याय अब परम पिता परमेश्वर भोलेनाथ ही करेंगे     व्यक्तिगत स्वार्थ और सत्ता लोलुपता के कारण hindoo समाज को बाँट दिया गया राजनैतिक दलों ने, जिसका परिणाम आज देश का सम्पूर्ण समाज आपसी नफरत के रूप में सामना कर रहा है !   सत्ता और स्वार्थ के लालच में ४ जून २०११ की रात सोते हुए बचों, महिलाओं और बुजुर्गों पर लाठी चलाई गई - परिणाम समाज में फिर से एक कुंठा सी पैदा हो गईं और ईश्वर ही जानता है इस कुंठा का अंत कैसे होगा.   अंत में दोषी कौन उपरोक्त विन्ध्वंस का - केवल हम क्योंकि जिनको वोट डालने की तमीज नहीं है वो वोट डालने ज्यादा से ज्यादा संख्या में जाते हैं और जिनको तमीज है वोट डालने की, उनका मतदान प्रतिशत बहुत ही कम होता है !  

1 comment:

  1. सार्थक और आत्मा को झकझोरने वाली जानकारी और तथ्य

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