सरकार एक और घोटाले को दबाने के फ़िराक में
भारत के ''महालेखा परीक्षक'' (CAG) के एक संवेदनशील रिपोर्ट से एक और बहुत ही महत्वपूर्ण घोटाला उजागर हुआ है ! भारत सरकार की तकनिकी अन्वेषण शाखा ''राष्ट्रीय तकनिकी शोध संस्थान'' (NTRO) में इस निकाय के सर्वोच्च पदाधिकारियों द्वारा बरती गयी वितिये अनियमितता, नियुक्ति प्रक्रिया में की गयी धांधली और सरकारी धन के व्यापक गबन का मामला सामने आया है !
पिछले बजट सत्र के एक सप्ताह पूर्व ही भारत के महालेखा परीक्षक ''सी ए जी'' ने इस अनियमितता की रिपोर्ट ''राष्ट्रपति, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल'' को सौंप दी थी ! सरकार ने इस रिपोर्ट को ''टॉप सेक्रेट'' की श्रेणी में डालकर संसद के पटल पर प्रस्तुत नहीं किया ! भारत के इतिहास में पहली बार किसी ''सी ए जी'' रिपोर्ट को ''टॉप सेक्रेट'' का दर्जा दिया गया है ! (नोट:- सरकार इस रिपोर्ट को विशेष दर्जा देकर छुपाने की कोशिश करती रही इसका मतलब ?)
इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि देश की सर्वोच्च निर्णायक संस्था- ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) के दिशा निर्दोषों का NTRO ने किस प्रकार मेनुपुलेशन किया है ! ''सी ए जी'' ने ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) के सन 2007-2008 में 300 करोड़ रुपये के मानवरहित वायुयान (UAV) के खरीद के निर्णय मामले में NTRO की बहुत खिंचाई करते हुए कहा है कि इस संस्थान ने अनाधिकृत और संदेहास्पद तरीके से इजरायल की एक कम्पनी ''इसरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रिज'' (IAI) को लाभ पहुँचाने की नियत से इस सौदे की रकम को 150 करोड़ रुपये और बढ़ा दिए !
''सी ए जी'' रिपोर्ट की एक प्रति ''राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार'' (CCS) शिव शंकर मेनन के पास भी बिगत 3 महीनों से है ! श्री मेनन ने NTRO के पूर्व प्रमुख KVSS प्रसाद राव और उनके सलाहकार MS विजयराघवन पर कई खरीददारियों में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है ! ध्यातब्य है कि NTRO अपनी सारी कार्रवाहियों की रिपोर्ट NSA को करती है !
इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि 150 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भुगतान की जानकारी NTRO ने ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) को कभी नहीं दी ! NTRO ने UAV में लगने के लिए सैटलाईट लिंक और इलेक्ट्रोनिक खुफिया उपकरण खरीदने के नाम पर अपनी मर्जी से १५० करोड़ रुँपये का अतिरिक्त खर्च जोड़ दिया ! ध्यान देने योग्य बात है कि NTRO के चैयरमैन अपनी कलम से मात्र २० करोड़ रुपये तक की राशी ही निर्गत कर सकते हैं ! इससे उपर की राशी भुगतान करने के लिए इनको ''प्रधानमंत्री कार्यालय'' (PMO) के माध्यम से ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) से अनुमति लेना अनिवार्य है ! इस प्रकार की अनुमति लेने का कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं है सरकारी दस्तावेजों में ! (नोट:- PMO की भूमिका के बिना यह खरीददारी का निर्णय नहीं किया जा सकता है ! अर्थात प्रधानमंत्री की इमानदारी ?)
इतनी बेशर्मी से धांधली करके ख़रीदे गए सैटलाईट लिंक बाद में बिना काम के पाए गए जो सिग्नल भेजने में सक्षम नहीं थे ! भारत की ''राष्ट्रीय सुरक्षा'' के साथ इस प्रकार का समझौता किये जाने पर आश्चर्य प्रकट करते हुए CAG ने कहा है अपने रिपोर्ट में कि बाद में इस संस्थान ने ख़रीदे गए उन UAV और अन्य उपकरणों के उनके ठीक हालत नहीं में नहीं होने के कारण उपयोग करने के लिए क्लियरेंस नहीं दिया ! इस प्रकार भारत के आम-आदमी की गाढ़ी कमाई के 450 करोड़ रुपये व्यर्थ ही बर्बाद कर दिए गए !
और भी ध्यान देने योग्य बाते हैं कि उसी रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि NTRO ने PMO और कैबिनेट की जांच-पड़ताल से बचने के लिए 20 करोड़ से कम की खरीददारी के कई इसी प्रकार के घपले किये हैं ! (नोट:- क्या ये सारे घपले PMO को बेखबर रखकर किये गए हैं ? अगर हाँ तो इसके पीछे कौन सी अदृश्य शक्ति काम कर रही है ?)
नोट :- कुछ अन्य अख़बारों में प्रकशित समाचारों के अनुसार NTRO ने कुल मिलाकर 1000 करोड़ रुपये का घपला किया है अब तक !
(पूरी खबर अंग्रेजी दैनिक ''द पायोनियर'' में २३ जून २०११ को प्रकाशित ''जे गोपिकृष्णन'' की रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद करके मैंने लिखा है !)https://www.youtube.com/watch?v=rCF4R8WNugw&feature=player_embedded
भारत के ''महालेखा परीक्षक'' (CAG) के एक संवेदनशील रिपोर्ट से एक और बहुत ही महत्वपूर्ण घोटाला उजागर हुआ है ! भारत सरकार की तकनिकी अन्वेषण शाखा ''राष्ट्रीय तकनिकी शोध संस्थान'' (NTRO) में इस निकाय के सर्वोच्च पदाधिकारियों द्वारा बरती गयी वितिये अनियमितता, नियुक्ति प्रक्रिया में की गयी धांधली और सरकारी धन के व्यापक गबन का मामला सामने आया है !
पिछले बजट सत्र के एक सप्ताह पूर्व ही भारत के महालेखा परीक्षक ''सी ए जी'' ने इस अनियमितता की रिपोर्ट ''राष्ट्रपति, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल'' को सौंप दी थी ! सरकार ने इस रिपोर्ट को ''टॉप सेक्रेट'' की श्रेणी में डालकर संसद के पटल पर प्रस्तुत नहीं किया ! भारत के इतिहास में पहली बार किसी ''सी ए जी'' रिपोर्ट को ''टॉप सेक्रेट'' का दर्जा दिया गया है ! (नोट:- सरकार इस रिपोर्ट को विशेष दर्जा देकर छुपाने की कोशिश करती रही इसका मतलब ?)
इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि देश की सर्वोच्च निर्णायक संस्था- ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) के दिशा निर्दोषों का NTRO ने किस प्रकार मेनुपुलेशन किया है ! ''सी ए जी'' ने ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) के सन 2007-2008 में 300 करोड़ रुपये के मानवरहित वायुयान (UAV) के खरीद के निर्णय मामले में NTRO की बहुत खिंचाई करते हुए कहा है कि इस संस्थान ने अनाधिकृत और संदेहास्पद तरीके से इजरायल की एक कम्पनी ''इसरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रिज'' (IAI) को लाभ पहुँचाने की नियत से इस सौदे की रकम को 150 करोड़ रुपये और बढ़ा दिए !
''सी ए जी'' रिपोर्ट की एक प्रति ''राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार'' (CCS) शिव शंकर मेनन के पास भी बिगत 3 महीनों से है ! श्री मेनन ने NTRO के पूर्व प्रमुख KVSS प्रसाद राव और उनके सलाहकार MS विजयराघवन पर कई खरीददारियों में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है ! ध्यातब्य है कि NTRO अपनी सारी कार्रवाहियों की रिपोर्ट NSA को करती है !
इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि 150 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भुगतान की जानकारी NTRO ने ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) को कभी नहीं दी ! NTRO ने UAV में लगने के लिए सैटलाईट लिंक और इलेक्ट्रोनिक खुफिया उपकरण खरीदने के नाम पर अपनी मर्जी से १५० करोड़ रुँपये का अतिरिक्त खर्च जोड़ दिया ! ध्यान देने योग्य बात है कि NTRO के चैयरमैन अपनी कलम से मात्र २० करोड़ रुपये तक की राशी ही निर्गत कर सकते हैं ! इससे उपर की राशी भुगतान करने के लिए इनको ''प्रधानमंत्री कार्यालय'' (PMO) के माध्यम से ''कैबिनेट सुरक्षा समिति'' (CCS) से अनुमति लेना अनिवार्य है ! इस प्रकार की अनुमति लेने का कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं है सरकारी दस्तावेजों में ! (नोट:- PMO की भूमिका के बिना यह खरीददारी का निर्णय नहीं किया जा सकता है ! अर्थात प्रधानमंत्री की इमानदारी ?)
इतनी बेशर्मी से धांधली करके ख़रीदे गए सैटलाईट लिंक बाद में बिना काम के पाए गए जो सिग्नल भेजने में सक्षम नहीं थे ! भारत की ''राष्ट्रीय सुरक्षा'' के साथ इस प्रकार का समझौता किये जाने पर आश्चर्य प्रकट करते हुए CAG ने कहा है अपने रिपोर्ट में कि बाद में इस संस्थान ने ख़रीदे गए उन UAV और अन्य उपकरणों के उनके ठीक हालत नहीं में नहीं होने के कारण उपयोग करने के लिए क्लियरेंस नहीं दिया ! इस प्रकार भारत के आम-आदमी की गाढ़ी कमाई के 450 करोड़ रुपये व्यर्थ ही बर्बाद कर दिए गए !
और भी ध्यान देने योग्य बाते हैं कि उसी रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि NTRO ने PMO और कैबिनेट की जांच-पड़ताल से बचने के लिए 20 करोड़ से कम की खरीददारी के कई इसी प्रकार के घपले किये हैं ! (नोट:- क्या ये सारे घपले PMO को बेखबर रखकर किये गए हैं ? अगर हाँ तो इसके पीछे कौन सी अदृश्य शक्ति काम कर रही है ?)
नोट :- कुछ अन्य अख़बारों में प्रकशित समाचारों के अनुसार NTRO ने कुल मिलाकर 1000 करोड़ रुपये का घपला किया है अब तक !
(पूरी खबर अंग्रेजी दैनिक ''द पायोनियर'' में २३ जून २०११ को प्रकाशित ''जे गोपिकृष्णन'' की रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद करके मैंने लिखा है !)https://www.youtube.com/watch?v=rCF4R8WNugw&feature=player_embedded
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